मंगलवार, 25 सितंबर 2012

वटवृक्ष की नई कोंपल (समीक्षा)





                               

   जिस प्रकार वटवृक्ष की असख्य शाखाओं पर पत्तों की भरमार होती है और समय -समय पर उस पर नई-नई कोंपलें फूटती रहती है.ठीक उसी प्रकार वटवृक्ष पत्रिका में अनेक रचनाकारों की रचनाओं को लेकर नए-नए विषयों पर विशेषांक पढ़ने को मिलते हैं .इस बार का अंक अपने आप में एक अनूठी मिसाल है .वटवृक्ष पत्रिका का अगस्त २०१२ का अंक "हिन्दी ब्लॉगिंग दशक पर केंद्रित " है.वैसे भी आज के दौर में प्रत्येक रचनाकार अपने-अपने ब्लॉग के माध्यम से अपनी प्रतिभा व कला का सुँदर परिचय दे रहा है.ऐसे में ब्लॉगिंग पर केंद्रित यह विशेषांक ब्लॉगर्स प्रेमियों के लिए एक अलग धरातल तैयार करता है.

   पत्रिका की शुरुआत पत्रिका के प्रधान सम्पादक रवीन्द्र प्रभात जी द्वारा रचित "ब्लॉगिंग यानी आम आदमी की बुलंद अभिव्यक्ति" नामक आलेख से हुई है जिसमें उन्होंने ब्लॉगिंग के शुरूआती दौर पर विचार-विमर्श करते हुए ब्लॉगर्स की रचनात्मक योग्यता के साथ -साथ उन ब्लॉगर्स के नामों पर प्रकाश ड़ाला है जिन्होंने इस क्षेत्र में प्रशंसनीय कार्य किए हैं.इसके उपरांत पत्रिका में अन्तर्जाल पर सक्रिय हिन्दी की महिला लेखिकाओं व पुरुष ब्लॉगरों का व्यौरा एवं उनकी विशेषताओं को उद्घाटित किया गया है. महिलाओं में जानी-मानी ब्लॉगर्स लेखिकाएँ जैसे -पूर्णिमा वर्मनरश्मि प्रभाड़ॉ कविता वाचक्नवीसंगीता पुरीआंकाक्षा यादव इत्यादि के साथ अन्य महिला ब्लॉगर्स की सक्रियता को वर्णित किया गया है. इसी तरह पुरुष ब्लॉगर्स की सूची में भी जाने -माने नाम जैसे रविन्द्र प्रभातरवि रतलामीअविनाश वाचस्पतिबालेन्दु शर्मासमीर लाल समीर इत्यादि के साथ अन्य ब्लॉगर्स का लेखा-जोखा भी दिया गया है. इसके बाद पत्रिका में कुछ महत्त्वपूर्ण ब्लॉगर्स के ईमेल सम्पर्क की तालिका अलग से दी गई है.

   पत्रिका के अगले पड़ाव में कुछ रचनाकारों के महत्त्वपूर्ण आलेखों की प्रस्तुति ने अंक की खूबसूरती को और भी बढ़ा दिया है. इन आलेखों में अत्यंत रोचक विषयों जैसे- "हिन्दी ब्लॉगिंग का वैश्विक हस्तक्षेपबड़े काम के ब्लॉगब्लॉगिंग ने खोखले आदर्शों को बेनकाब कर दिया है"हिन्दी ब्लॉगिंग में विज्ञान लेखन की सँभावनाएँफेसबुक पर रिश्तों की असलियतहिन्दी ब्लॉगिंग खुशियों का फैलाव है व आओ ब्लॉग बनाएँ" आदि का सारगर्भित परिचय ब्लॉगिंग दशक को और भी सटीक बना देता है .

   इस अंक की विशेषता यह है कि इसमें न केवल भारतीय ब्लॉगर्स अपितु अन्तर्राष्ट्रीय देशों के ब्लॉगर्स को एक साथ एक ही मंच पर प्रस्तुत करके " वसुधैव कुटुम्बकम्" की भावना को व्यक्त किया है. निश्चित रूप से ब्लॉगिंग दशक पर केंद्रित यह अंक पाठकों के मानस पटल पर अविस्मरणीय छाप छोड़ेगा.


 डॉ.प्रीत अरोड़ा

पंजाब विश्वविद्यालय, चण्डीगढ़ से 

हिंदी साहित्य में पी-एच.डी. (हिन्दी )
विभिन्न पत्र पत्रिकाओं में इनकी 
नारी विमर्शपरक रचनाओं का 
नियमित प्रकाशन 

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