शुक्रवार, 2 नवंबर 2012

करवा चौथ (सोनाली मिश्र की एक कविता)





“आज है तुम्हारा दिन ये प्रिये,
क्या लाऊँ तुम्हारे लिए प्रिये,”
वे बोले मैं शरमाई, 
फिर मन ही मन मुस्काई,
मैंने कहा मुझको नहीं कुछ चाहिए,
बस आप की सलामती चाहिए,
यूं ही रहो बस आप मेरे साथ,”
वे बोले “वाह क्या है बात”
मैं बोली “बस अब ज्यादा मुंह न खुलवाइए,
चलिए अब सीधे ऑफिस जाइए,
वरना दिल की बात जुबां पर आ जाएगी,
फिर आपको बहुत ही तड़पाएगी,
कि सोने का अंडा देने वाली मुर्गी को
एकदम ही नहीं काटा जाता है,
उससे तो धीरे धीरे ही सोने का,
अंडा पाया जाता है,
अरे भाई मुर्गे को हलाल करने 
में ही मज़ा आता है.
एक बार आपसे मांग कर मैं 
क्यों खुद को बदनाम करूं?
जन्म जन्मांतर के लिए 
क्यों न तुम को ही मांग लूं,
जिससे इस जन्म की मेहनत 
अगले जन्म में भी काम आए,
और मेरे बाकी के जन्म में,
मुझको थोडा तो आराम आए,
तो प्रिय, मुझको आप से 
और नहीं कुछ चाहिए,
बस जन्म जन्मांतर तक साथ का,
एक छोटा सा वादा चाहिए.
एक छोटा सा वादा चाहिए.”  


कवयित्री सोनाली मिश्रा

https://www.facebook.com/sonali.misra1


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