ज़माने में सभी को तो सभी हासिल नहीं मिलता
नदी की हर लहर को तो सदा साहिल नहीं मिलता
ये दिलवालों की दुनिया है अजब है दास्ताँ इसकी
कोई दिल से नहीं मिलता किसी से दिल नहीं मिलता
मेरे हाथों से मुँह तक का निवाला रोकने वालो
लहू होगा तो उबलेगा उबाला रोकने वालो
मैं सूरज हूँ अंधेरा चीर कर हर रोज़ निकलूंगा
मुझे क्या रोक पाओगे उजाला रोकने वालो
प्रेम के गीत लिख, व्याकरण पर न जा
मन की पीड़ा समझ, आचरण पर न जा
मेरा मन कोई गीता से कम तो नहीं
खोल कर पृष्ठ पढ़ आवरण पर न जा
स्वाभिमान अपना स्वाह मत करना
भीख लेकर निबाह मत करना
अपने गुलदान की सजावट को
सारा गुलशन तबाह मत करना
न रखना आँसुओं का बोझ मन पर मातरम् वन्दे
वतन के लाल मरते हैं वतन पर मातरम् वन्दे
वतन पर जान जाए तो ये जीवन धन्य हो जाए
ये ख़्वाहिश है कोई लिख दे क़फ़न पर मातरम् वन्दे
साभार : http://kavyanchal.com/navlekhan/?cat=119
kabhi jo bhulaye nahi ja sakte wo muktak ........shukriya harish g
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