लखनऊ। नवाबों की नगरी और उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में बीते सप्ताह चर्चित व्यंग्यकार,स्तंभ लेखक, न्यू मीडिया विशेषज्ञ और मशहूर हिन्दी ब्लॉगर अविनाश वाचस्पति की व्यंग्य कृति‘व्यंग्य का शून्यकाल’ का सजिल्द संस्करण ब्लॉगार्पित किया गया। ब्लॉगार्पित इस मायने में कहा जा रहा है क्योंकि पुस्तक अर्पण का यह समारोह अंतरराष्ट्रीय हिन्दी ब्लॉगर सम्मेलन सूचना का उल्लेखनीय हिस्सा रहा। इस अवसर पर अविनाश वाचस्पति को उनकी पिछले वर्ष प्रकाशित न्यू मीडिया पर हिन्दी की पहली प्रामाणिक पुस्तक ‘हिन्दी ब्लॉगिंग : अभिव्यक्ति की नई क्रांति’ के लिए ‘प्रगतिशील ब्लॉग लेखक संघ चिट्ठाकारिता शिखर सम्मान’ से भी नवाजा गया। हिन्दी ब्लॉगरों के भव्य अंतरराष्ट्रीय आयोजन में पुस्तक का लोकार्पण वरिष्ठ साहित्यकार उद्भ्रांत,कथाक्रम के संपादक शैलेन्द्र सागर, डॉ. सुभाष राय, डॉ् अरविन्द मिश्रा, व्यंग्यकार गिरीश पंकज,रवीन्द्र प्रभात, सुश्री शिखा वार्ष्णेय, डॉ. हरीश अरोड़ा के सुखद सान्निध्य में संपन्न हुआ।
इस संबंध में उल्लेखनीय है कि फरवरी 2012 में विश्व पुस्तक मेले के अवसर पर प्रख्यात साहित्यकार एवं व्यंग्यकार डॉ. शेरजंग गर्ग द्वारा लोकार्पित ‘व्यंग्य का शून्यकाल’ का पैपरबैक संस्करण प्रकाशित होकर चर्चित हो चुका है और अब अनुपलब्ध है। इस अवसर पर उन्होंने सबका आभार व्यक्त करते हुए कहा कि सरकार को न्यू मीडिया सेंसर करने की जरूरत नहीं है अपितु इंटरनेट पर कोई भी खाता खोलने के लिए कोई भी सरकारी पहचान पत्र की अनिवार्यता लागू कर देनी चाहिए।
अंतर्जाल पर हिन्दी के लिए किया गया उनका कार्य किसी परिचय का मोहताज नहीं है। अविनाश जी साहित्य शिल्पी से भी लम्बे समय से जुडे हुए हैं इसके अलावा सामूहिक वेबसाइट नुक्कड़ (http://nukkadh.blogspot.com) के मॉडरेटर हैं, जिससे विश्वभर के एक सौ प्रतिष्ठित हिन्दी लेखक जुड़े हुए हैं। इसके अतिरिक्त उनके ब्लॉग पिताजी, बगीची, झकाझक टाइम्स, तेताला अंतर्जाल जगत में अपनी विशिष्ट पहचान रखते हैं। उन्हें देश भर में नेशनल और इंटरनेशनल ब्लॉगर सम्मेलन आयोजन कराने का श्रेय दिया जाता है। मुंबई, दिल्ली, जयपुर, आगरा इत्यादि शहरों में कराए गए उनके आयोजन अविस्मरणीय और हिन्दी के प्रचार/प्रसार में सहायक बने हैं। इंटरनेट पर हिन्दी के उनके निस्वार्थ सेवाभाव के कारण विश्वभर में उनके करोड़ों प्रशंसक मौजूद हैं।
भारतीय जन संचार संस्थान से 'संचार परिचय', तथा ‘हिंदी पत्रकारिता पाठ्यक्रम’ में प्रशिक्षण लिया है। व्यंग्य, कविता एवं फ़िल्म लेखन उनकी प्रमुख उपलब्धियाँ हैं। सैंकड़ों पत्र-पत्रिकाओं में रचनाएँ प्रकाशित हुई हैं। जिनमें नवभारत टाइम्स,हिन्दु
हरियाणवी फ़ीचर फ़िल्मों 'गुलाबो', 'छोटी साली' और 'ज़र, जोरू और ज़मीन' में प्रचार और जन-संपर्क तथा नेत्रदान पर बनी हिंदी टेली फ़िल्म 'ज्योति संकल्प' में सहायक निर्देशन किया है। राष्ट्रभाषा नव-साहित्यकार परिषद और हरियाणवी फ़िल्म विकास परिषद के संस्थापकों में से एक। सामयिक साहित्यकार संगठन, दिल्ली तथा साहित्य कला भारती, दिल्ली में उपाध्यक्ष। केंद्रीय सचिवालय हिंदी परिषद के आजीवन सदस्य। 'साहित्यालंकार' , 'साहित्य दीप' उपाधियों और राष्ट्रीय हिंदी सेवी सहस्त्राब्दी सम्मान' तथा ‘कविता शिल्पी पुरस्कार’ से सम्मानित। 'शहर में हैं सभी अंधे' स्वरचित काव्य रचनाओं का संकलन। काव्य संकलन 'तेताला' तथा 'नवें दशक के प्रगतिशील कवि’ कविता संकलन का संपादन किया है। हिन्दी चिट्ठाकारी पर डॉ. हरीश अरोड़ा के साथ ‘ब्लॉग विमर्श’ नामक पुस्तक संपादित। ‘सिनेमाई साक्षात्कार’ पुस्तक की तैयारी और ‘फेसबुक महिमा’ पुस्तक के लेखन में व्यस्त।
उन्हें वर्ष 2009 के लिए हास् य-व्यंग्य श्रेणी में ‘संवाद सम्मान’ भी दिया जा चुका है। ‘हिन्दी साहित्य निकेतन एवं परिकल्पना के वर्ष के ‘सर्वोत्तम त्त्म व्यंग्यकार ’। उत्तर भारतीय समाज एज्यूकेशनल एंड रिसर्च इंस्टीच्यूट, मुंबई से ‘हिन्दी ब्लॉग भूषण’ सम्मान। भारत सरकार के ‘सूचना और प्रसारण मंत्रालय’ से ‘हिन्दी साहित्य सम्मान’।
प्रस्तुति : संतोष त्रिवेदी
जे ३/७८ ए एफ.एफ. खिड़की एक्स.
मालवीयनगर,नई दिल्ली-१७
हे भगवान, ये क्या क्या करते रहते हैं भई :)
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